वह जन्मभूमि मेरी
कवि परिचय
सोहनलाल द्विवेदीश्री सोहनलाल द्विवेदी का जन्म सन् 1905 में उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के एक गांव में हुआ था इन्होंने एम ए एलएल बी तक शिक्षा पाई। इन्होंने राष्ट्रीय पत्र अधिकार संपादन किया राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के कारण गांधीजी का इन पर बहुत प्रभाव पड़ा 'भैरवी', 'सेवाग्राम', 'जय भारत जय', में इनकी कविताएंँ संकलित है इन्होंने बाल उपयोगी कविताएंँ भी लिखी हैं इनके काव्य में 'राष्ट्रीय जागरण', 'स्वदेशाभिमान', भारत की गरिमा पूर्ण संस्कृत ,ग्राम सुधार हरिजन उद्धार, तथा समाज सुधार का स्वर्ग मुखरित हुआ हैं। सन 1988 में इन का स्वर्गवास हो गया।द्विवेदी जी की भाषा सरस तथा ओजपूर्ण थी।
कठिन शब्दों के अर्थ:-
सिंधु - समुद्र
नित - प्रतिदिन
मलय पवन - सुगंधित हवा
छहरना - बिखरना
सुयश - अच्छा यश
चरण तले- पैरों के नीचे
पूर्णभूमि - पवित्र भूमि
मातृभूमि - मांँ के समान भूमि
पग - चरण
अमराइयाँ - आम के बाग
पग-पग पर - कदम-कदम पर
निराली- अनोखी
पुनीत- पवित्र
छटा- सुंदरता
स्वर्णभूमि- धन-धान्य पूर्ण भूमि
दिया- दीपक
1. वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी
ऊंँचा खड़ा हिमालय, आकाश चुमता है,
नीचे चरण तले पङ, नित सिंधु झूमता हैं।
गंगा, यमुना, त्रिवेणी, नदियांँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली, पग-पग पर छहर रही हैं।
भावार्थ:- प्रस्तुत कविता "वह जन्मभूमि मेरी", सोहनलाल द्विवेदी की मातृभूमि शीर्षक कविता से ली गई है। भारत देश कवि की मातृभूमि है और यही उनकी जन्मभूमि भी है कवि की मातृभूमि। अर्थात, भारत भूमि की भौगोलिक विशेषताएंँ इस प्रकार है कि भारत के उत्तर में ऊंचा हिमालय पर्वत खड़ा है जो आकाश को चुमता रहता है। नीचे चरणों में विशाल समुंद्र झूमता रहता है इसके माध्यम में गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी त्रिवेणी नदियांँ लहरों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। यह नदियांँ अपनी जगमताओ हुई छवि से अनोखी लगती है और पग पग पर फैल रही है। अर्थात, वे विस्त्रीत हो रही है।
2. वह पुण्य भूमि मेरी, वह स्वर्णभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
भावार्थ:- प्रस्तुत पंक्तियांँ वह जन्मभूमि मेरी कविता से ली गई है। कवि की मातृभूमि शहीदों की पुण्यभूमि कहांँ है क्योंकि यहांँ अनेक शहीद हुए हैं। जिन्होंने देश की खातिर अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। कवि की मातृभूमि को सोने देने वाली भूमि कही गई है क्योंकि यह सोने के समान बहुमूल्य रत्नों को अपने अंदर समाई हुई है, इसलिए कवि की मातृभूमि उनके लिए पूजनीय है।
3. झरने अनेक झरते, जिनकी पहाड़ियों में
चिड़ियाँ चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में।
अमराइयाँ घनी हैं, कोयल पुकारती है।
बहती मलय पवन है, तन-मन सँवाराती है।
भावार्थ:- प्रस्तुत पंक्तियांँ "वह जन्मभूमि मेरी" कविता से ली गई है, यह कविता 'सोहनलाल द्विवेदी जी' द्वारा रचित है। कवि ने अपनी मातृभूमि के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहा है, कि कवि की मातृभूमि बहुत सुंदर है यहांँ की पहाड़ियों से अनेक झरने झरते हैं। जो इनकी सुंदरता में चार-चांँद लगा देता है। यहांँ की झाड़ियों में चिड़ियाँ चहचहती रहती है। आम के बगीचे घने लगते हैं, जहांँ कोयल गीत गाती रहती है यहांँ कि ये वातावरण को आनंदमय बना देती हैं। मलय पवन में आने वाली सुगंधित हवा यहांँ के लोगों के तन मन को सँवारती हुई जाती है।
4. वह धर्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
भावार्थ:- प्रस्तुत पंक्तियांँ "वह जन्मभूमि मेरी" कविता से ली गई है। कवि की मातृभूमि अर्थात, भारत भूमि अनेक धर्मों का संगम है यहांँ अनेक धर्मों के लोग रहते हैं। भारतभूमि शहीदों और देशभक्तों की कर्मभूमि भी है।
5. जन्मे में जहांँ थे रघुपति, जन्मी जहांँ थी सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीता गीता।
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया।
जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।
भावार्थ:- प्रस्तुत पंक्तियांँ "वह जन्मभूमि मेरी" कविता से ली गई है जिसके रचयिता 'सोहनलाल द्विवेदी' हैं। कवि ने अपनी मातृभूमि की विशेषताओं को बताते हुए कहा है कि भारत में ही श्री राम जैसे न्यायी और मर्यादित जीवन जीने वाले पुरुष का जन्म हुआ था। यहांँ माता सीता जन्मी थी जिन्होंने नारियों के लिए उदाहरण पेश किया था। भारतभूमि में ही श्री कृष्ण जन्मे थे और उन्होंने गीता का उद्देश्य दिया था। अपनी बांँसुरी की धुन पर सबको मोहित किया था। गौतम बुद्ध ने भी भारत में जन्म लिया और उन्होंने भारत का यश बढ़ाया था। उन्होंने संसार को रास्ता दिखाया था सहानुभूति, दया, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया था। और लोगों को रोशनी दिखाई।
6. वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
भावार्थ:- प्रस्तुत पंक्तियांँ "वह जन्मभूमि मेरी" कविता से ली गई है। कवि मातृभूमि युद्धभूमि भी कही जाती है, क्योंकि यहांँ अनेक वीर पैदा हुए हैं। और समय-समय पर अनेकों युद्ध होते रहे कवि की मातृभूमि बुधभूमि भी है क्योंकि यहांँ भगवान बुध ने जन्म लिया था।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
भावार्थ:- प्रस्तुत पंक्तियांँ "वह जन्मभूमि मेरी" कविता से ली गई है। कवि मातृभूमि युद्धभूमि भी कही जाती है, क्योंकि यहांँ अनेक वीर पैदा हुए हैं। और समय-समय पर अनेकों युद्ध होते रहे कवि की मातृभूमि बुधभूमि भी है क्योंकि यहांँ भगवान बुध ने जन्म लिया था।
प्रश्न उत्तर:-
Q1. कवि की मातृभूमि की भौगोलिक विशेषताएंँ क्या है?
> कवि की मातृभूमि की भौगोलिक विशेषताएंँ इस प्रकार है कि भारत के उत्तर में ऊंँचा हिमालय पर्वत खड़ा है, जो आकाश को चुमता रहता है। नीचे चरणों में विशाल समुंद्र घूमता रहता है इनके माध्यम में गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी त्रिवेणी नदियांँ लहरों के साथ आगे बढ़ती है। यह नदियांँ अपनी जगमगाते हुए अपनी छवि से अनोखी लगती है। और पग-पग पर पर फैल रही है।Q2. त्रिवेणी शब्द का अर्थ क्या है? या कहांँ है, और इसका क्या महत्व है?
> त्रिवेणी शब्द का अर्थ तीन नदियों का संगम को कहा जाता है। गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नामक स्थान में हुआ है। इसका महत्व यह है कि इसकी जगमगाती छटा निराली है और पग-पग पर छहर रही हैं।Q3. कवि ने अपनी मातृभूमि को पूर्णभूमि और स्वर्णभूमि क्यों कहा है?
> कवि ने अपनी मातृभूमि को पुण्य भूमि और स्वर्ण भूमि इसलिए कहा है क्योंकि यहांँ आने शहीद हुए हैं जिन्होंने देश के खातिर अपने प्राण त्याग या बलिदान दिया है। इसलिए इसे पुण्यभूमि कहा जाता है और यह भूमि सोने के समान बहुमूल्य रत्नों को अपने अंदर समाई हुई है इसलिए कवि ने इसे स्वर्णभूमि कहा है क्योंकि यह भूमि सोना देने वाली भूमि है।Q4. मलय पवन की क्या विशेषता है?
> मलय पवन की यह विशेषता है कि मले पवन से आने वाली सुगंधित हवा यहांँ के लोगों के तन मन को सवारती हुई जाती है।Q5. भारतभूमि की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन करें।
> भारत भूमि की प्राकृतिक सौंदर्य यह है कि भारत भूमि बहुत सुंदर है यहांँ की पहाड़ियों से अनेक झरने भरते हैं जो इसकी सुंदरता पर चार चांँद लगा देते हैं। यहांँ इनकी झाड़ियों में चिड़िया चहचहाती रहती है। आम के बगीचे घने लगते हैं। जहांँ कोयल गीत गाती रहती है। और मलय पवन से आने वाली सुगंधित हवा यहांँ के लोगों के तन मन को सँवारती जाती है।Q6. श्री राम को रघुपति क्यों कहा गया है? वे क्यों प्रसिद्ध हैं।
> श्रीराम को रघुपति इसलिए कहा जाता है, क्योंकि श्रीराम एक न्याय प्रिय राजा थे। वह मर्यादा जीवन जीने वाले पुरुष हैं। वे धर्म परायण व्यक्ति थे, जो अपनी प्रजाओं की सेवा करते थे। वे प्रसिद्ध इसलिए थे क्योंकि न्यायाधीश राजा थे।Q7. भारतभूमि को धर्मभूमि और कर्मभूमि क्यों कहीं गई है?
> भारतभूमि को धर्मभूमि इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहांँ अनेक धर्मों के लोग रहते हैं जिनकी अपनी अलग-अलग प्रतिष्ठा है और इसे कर्मभूमि इसलिए कहा जाता है क्योंकि भारत वह में शहीदों और देशभक्ति ओ की भूमि है।Q8. श्री कृष्ण ने गीता का संदेश किसे कहा और क्यों कहा?
> श्री कृष्ण ने गीता का संदेश पूरे भारत को दिया था।Q9. गौतम बुद्ध ने भारत को यश कैसे बढ़ाया?
> गौतम बुध ने भारत में जन्म लेकर भारत का यश बढ़ाया। उन्होंने संसार को रास्ता दिखाया था। सहानुभूति, दया, सत्य, और अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया था। और लोगों को रोशनी दिखाई।Q10. कवि ने भारत भूमि को युद्धभूमि और बुधभूमि क्यों कहा है?
> कवि ने भारत भूमि को युद्धभूमि इसलिए कहा है क्योंकि यहांँ अनेक वीर पैदा हुए और समय-समय पर अनेकों युद्ध होते रहे जिनमें उन्होंने अपना बलिदान दिया। कवि ने भारत भूमि को बुधभूमि भी कहा है क्योंकि यहांँ भगवान बुध का जन्म हुआ था।Q11. वहा अपना यह वह जन्मभूमि कविता का उद्देश्य क्या है?
> कविता वह जन्मभूमि मेरी का उद्देश्य है कि यहांँ हमें हमारी भारत भूमि के बारे में बतलाती है यह बताती है कि हमारी भारत भूमि कितनी मनमोहक और निराली है। वह जन्मभूमि मेरी कविता में यह भी बताया गया कि किस प्रकार देश भक्ति लोगों के मन में है और उन्होंने अपने देश के लिए अपनी भूमि के लिए किस प्रकार अपने बलिदान दिए थे।अवतरणों पर आधारित प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए—
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए—
1)वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी
ऊंँचा खड़ा हिमालय, आकाश चुमता है,
नीचे चरण तले पङ, नित सिंधु झूमता हैं।
गंगा, यमुना, त्रिवेणी, नदियांँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली, पग-पग पर छहर रही हैं।
वह पुण्य भूमि मेरी, वह स्वर्णभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।।
ऊंँचा खड़ा हिमालय, आकाश चुमता है,
नीचे चरण तले पङ, नित सिंधु झूमता हैं।
गंगा, यमुना, त्रिवेणी, नदियांँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली, पग-पग पर छहर रही हैं।
वह पुण्य भूमि मेरी, वह स्वर्णभूमि मेरी।
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।।
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