कहानीकार का परिचय
हरिशंकर परसाई
हरिशंकर परसाई हिंदी के ऐसे समथ प्रतिनिधि कहानीकार हैं जिन्होंने कहानी में व्यंग को प्रमुख अस्त्र के रूप में प्रयुक्त एवं प्रचलित किया। उनका जन्म 1922 वी में होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) की जिले में जामानी नामक गांँव में हुआ। नागपुर विश्वविद्यालय से एम० ए० कहने के बाद इन्होंने कुछ वर्ष तक अध्यापन- कार्य किया परंतु शीघ्र ही त्यागपत्र दे कर स्वतंत्र रुप में साहित्य - सृजन का कार्य करने लगे। वे मुख्यतः व्यंग लेखक हैं। उनकी कहानियों की विशेष वस्तु शिक्षा जगत, राजनीति, चिकित्सा क्षेत्र, धर्म ,संस्कृति आदी से जुड़े शोषण, आडंबरों, दोंगो व पाखंडों से संबंद्ध होती है। वे एक छोटे से भाव अथवा घटना को लेकर उनके समरुप कई अनुभवों या कल्पनाओं को व्यंग्यात्मक रुप प्रस्तुत कर डालते हैं। उनकी कहानियों में समस्यांकन का उदात्त रूप मिलता है। उनके विचारो को व्यंग्य 'क्षत्रिय' के रुप में स्थापित किया जा चुका है। उनका निधन 1995 ईस्वी में जबलपुर में हुआ था।
कहानी का उद्देश्य-
प्रस्तुत कहानी हरिशंकर परसाई द्वारा रचित हैं। और इस कहानी का उद्देश्य राज्य के धोकेबाज़, चालाक ,झूठे, तथा ढोंगी राजनेताओं के बारे में हैं। जिस तरह जंगल में राज करते भेड़ियों ने भेड़ों के साथ छल किया। उसी प्रकार आम इंसानों के साथ भी बड़े-बड़े राजनेता छल करते हैं। चुनाव की दिनों में वह आम लोगों को सपने दिखाते हैं कि वह उनकी सारी मांँगे पूरी करेंगे परंतु जब चुनाव खत्म हो जाता है और वह जीत जाते हैं वे अपने सारे वादों से मुकर जाते हैं। जिस तरह इस कहानी में भेड़ सीधे-साधे व्यक्तियों के प्रतीक हैं जो चलाक, स्वास्थ्य, धोखेबाज़, राजनेताओं के बहकावे में मे आकर उनको चुनते हैं तथा चुने जाने पर भीडि़ए रुपी ये राजनेता अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं तथा भोली-भाली जानता का शोषण करते हैं। इस कहानी के माध्यम से ऐसे राजनेताओं की पोल खुल गई है।
प्रश्न उत्तर:-
1) क्यों पशु समाज में हर्ष की लहर दौड़ गई?
> एक बार पशुओं को ऐसा लगा कि वे सब सभ्यता के उस सर पर पहुंँच गए जहांँ उन्हें अच्छी शासन व्यवस्था अपनानी चाहिए और एक मत से तय हो गया था कि वन प्रदेश मे प्रजातंत्र की स्थापना होनी चाहिए। इसलिए पशु समाज में 'क्रांतिकारी' परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ उठी। जहा सुख, समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण युग अब जैसे उनके लिए पहुंँच गया था।2) भेडो़ की स्वभाव कैसे थी?
> जिस वन-प्रदेश में यह कहानी निर्धारित थी उसमें भेडे़ बहुत थी निहायत नेक, इमानदार, कोमल, विनयी, दयालु, निर्दोष पशु जो घास तक को फूंँक-फूंँककर खाता है।3) किसने सोचा कि हमारा भय दूर हो जाएगा और क्यों?
> भेड़ों ने सोचा कि अब उनका भय दूर हो जाएगा। वह यह इसलिए सोचते हैं क्योंकि वे अब अपने प्रतिनिधियों से कानून बनवाएंँगे की कोई जीवधारी किसी को ना सताए, न मारे। सब जिएँ और जीने दें। शांति,स्नेह, बंधुत्व और सहयोग पर समाज आधारित हो।4) भेड़ों ने अपने प्रतिनिधियों से कैसा कानून बनवाना चाहा?
> भेड़ों ने अपने प्रतिनिधियों से शांति,स्नेह, बंधुत्व और सहयोग पर समाज आधारित करना चाहा।5) "ज्यों-ज्यों चुनाव समीप आता, भेड़ों का उल्लास बढ़ता जाता। ज्यों-ज्यों चुनाव समीप आता, भेड़ियों का दिल बैठता जाता।" पंक्ति भाव स्पष्ट कीजिए।
> इस पंक्ति का यह है कि जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे थे वैसे-वैसे भेड़ों के मन के उल्लास बढ़ते जा रहे थे। क्योंकि वे सोच रहे थे कि अब उनके समाज में जीव हत्या आधी जैसे कार्य नहीं होंगे वह एक ऐसा कानून बनाएंँगे जहांँ जीवधारी किसी को ना सताए, न मारे। वह एक शांति,स्नेह, बंधुत्व और सहयोग पर समाज को आधारित करना चाहा रहे थे। परंतु जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहा था भेड़ियों के दिल में डर बैठा जा रहा था क्योंकि भेडो़ की तादाद जंगल में ज्या़दा थी और भेड़ियों की कम और यदि भेड़ चुनाव में खड़े हो जाते हैं तो उन्हें जीतने से कोई नहीं रोक सकता और उनके कानून को हमें स्वीकार ही पड़ेगा।6) क्यों हर भेड़िए के आसपास दो-चार सियार रहते है?
> जब भेड़िया अपना शिकार खा लेता है तब यह सियार हड्डियों में लगे मांँस को कुतरकर खाते हैं, और हड्डियांँ चूसते रहते हैं। ये भेड़िये के आसपास दुम हिलाते चलते हैं उनकी सेवा करते हैं और मौके-बेमौके "हुआँ-हुआँ" चिल्लाकर उनकी जय बोलते हैं, ताकि उन्हें खाने को मिल सके।7) सियार ने भेडि़ये का हाथ चुमकर क्या कहा?
> सियार ने भेडि़ये का हाथ चुमकर कहा," बड़े भोले हैं आप सरकार! अरे मालिक रूप रंग बदल देने से तो सुना है आदमी तक बदल जाता है फिर यह तो सियार है।"
8) सियार भेडि़ये को कौन से तीन बातें याद रखने को कहा?
> बूढ़े सयाने भेड़िए को कहा की अपनी हिंसक आंँखों को ऊपर मत उठाना, हमेशा जमीन की ओर देखना, और कुछ बोलना मत नहीं तो सब पोल खुल जाएगा और वहांँ बहुत सी भेडे़ आएंँगी सुंदर-सुंदर, मुलायम-मुलायम, तो कहीं किसी को तोड़ मत खाना। इन तीनों बातों का ध्यान रखने को कहा।
9) बूढ़े सियार ने किस तरह भेड़िये का रूप बदला?
> मस्तक पर तिलक लगाया, गले में कंठी पहनाई और मुंँह में घास के तिनके खोंस दिए। और बोला," अब आप पूरे संत हो गए हैं।"10) लेखक ने राजनैतिक पर क्या व्यंग किया?
> लेखक ने राजनैतिक पर व्यंग करते हुए कहा है कि राजनैतिक नेता जंगल में मिले,राज करते भेडि़यो के समान होते हैं, जो चुनाव के दिनों में नज़र आते हैं और उनका मार्ग बतलाते हैं चुनाव के दिनों में वह आम जनता के पास चुनाव प्रचार के लिए आते हैं और उनकी साथ भिन्न-भिन्न वादा करते है चुनाव जीतने के बाद वह अपनी बात मुकर जाते हैं और आम जनता का शोषण करते हैं। राजनेता चुनाव एवं उनकी चापलूसी करने वाले सहायक चुनाव के दिनों में जनता को गुमराह करते हैं जब जनता उन के चंगुल में फस कर उन के हित में वोट डालती है, पर वह उसी जनता का शोषण करते हैं, वह बस अपने स्वार्थ को देखते हैं। और इसलिए एक प्रकाश लेखक ने व्यंगात्मक शैली में राजनीतिक वर्ग पर कटाक्ष किया हैं।संक्षिप्त प्रश्न
निंलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
i) पशु समाज में इस क्रांतिकारी परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ गई कि सुख-समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण युग अब आया है और वह आया।
क) वन के पशुओं ने एक मत से क्या तक किया और क्यों? 'वन में प्रजातंत्र की स्थापना' का आशय स्पष्ट कीजिए।
> वन के पशु ने एकमत से यह तय किया कि उन्हें भी अब शासन व्यवस्था अपनानी चाहिए। उन्होंने यह तय किया इसलिए क्योंकि वह अब सुख-समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण युग बनाना चाहते थे।'वन में प्रजातंत्र की स्थापना' से यह अर्थ है कि अब पशुओं को भी लगने लगा था कि अब उन्हें एक राशन व्यवस्था अपना नी चाहिए ताकि वह एक सुख-समृद्धि एवं सुरक्षा से अपना जीवन व्यतीत कर सके उन्हें कोई भी जीवधारी मार ना सके और स्नेह, शांति, बंधुत्व और सहयोग पर समाज आधारित हो सके।
ख) 'क्रांतिकारी परिवर्तन' का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
> क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रयोग पशु समाज मे शासन व्यवस्था अपनाने और प्रजातंत्र की स्थापना होने पर जो हर्ष की लहर पूरे चारो ओर दौड़ उठी थी उसे दर्शाया जा रहा है।
ग) जंगल में हर्ष की लहर क्यों दौड़ गई? सुख-समृद्धि और सुरक्षा के स्वर्ण युग का आशय स्पष्ट कीजिए।
> जंगल में हर्ष की लहर दौड़ उठी थी क्योंकि अब पशु समाज में सारे पशुओं ने एकमत से यह तय किया था कि वे अब शासन व्यवस्था को अपनाना चाहते हैं और वन में प्रजातंत्र की स्थापना करना चाहते हैं। जिसकी वजह से पशु समाज में 'क्रांतिकारी परिवर्तन' हो गया था जहांँ उन्हें उन के लिए सुख-समृद्धि एवं सुरक्षा का स्वर्ण युग नज़र आता दिखाए दे रहा था।घ) जंगल में किस प्रकार का प्रजातंत्र आया? उनका क्या परिणाम निकला? क्यों सुख-समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण युग आया?
> जंगल में शासन व्यवस्था प्रकार का प्रजातंत्र आया। उसका यह परिणाम निकला कि पशुओं में हर्ष की लहर दौड़ गई और उन्हें या एहसास होने लगा कि अब वह शांति, स्नेह, आदि से अपना जीवन व्यतीत कर सकते हैं। यदि शासन व्यवस्था मैं ऐसे लोग जीते जो अच्छे से समाज को चला सके और उन्हें सुरक्षित रख सके। सुख-समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण युग आया क्योंकि अब जंगल में भी अब शासन व्यवस्था की स्थापना होने जा रही थी जहांँ कोई भी पशु बिना जीवधारियों से डर अपना जीवन व्यतीत कर सकता था।ii) बूढे़ सियार ने बड़ी गंभीरता से पूछा, "महाराज, आपके मुखचंद्र पर चिंता के मेघ क्यों छाए हैं?"
क) 'महाराज' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है?उनकी चिंता का क्या कारण था और क्यों?
> 'महाराज' शब्द का प्रयोग भेड़िये के लिए किया गया है। उनकी चिंता का कारण जंगल में शासन व्यवस्था अपनाने एवं वन प्रदेश में प्रजातंत्र की स्थापना करने के निर्णय के वजह से थी। क्योंकि जंगल में भेड़ की तादाद ज्या़दा थी और यदि वे चुनाव में उठ जाते हैं तो उन्हें जितने से कोई भी नहीं रोक सकता और इसके वजह से हमें अब लगता है कि घास चरना सीखना पड़ेगा।
ख) सियार ने उसकी बात सुनकर क्या उत्तर दिया? इस उत्तर से उसके चरित्र की किस विशेषता का पता चलता है?
> सियार ने दाँत निपोर कर कहांँ," हम क्या जानें महाराज! हमारे तो आप ही 'माई-बाप' हैं। हम तो कोई और सरकार नहीं जानते। आपका दीया खाते हैं, आपके गुण गाते हैं।ग) भेड़िए ने सियार को कौन सी बात बताई और इस अंदर में अपनी किस कठिनाई का उल्लेख किया?
> भेड़िए ने सियार को जंगल में हो रहे चुनाव के बारे में बताया। और कहा कि अब उनके लिए संकटकाला आ गया है क्योंकि भेड़ों की संख्या इतनी अधिक है कि पंचायत में उनकी ही बहुमत ही होगा और अगर उन्होंने कानून बना दिया है कोई पशु किसी को ना मारे तो हम खाएंँगे क्या हमें घास चरना सीखना पड़ेगा आधी जैसे कठिनाई का उल्लेख किया हैघ) बूढे़ सियार ने भेड़िए को उस कठिनाई से मुक्ति पाने के कौन से दो उपाय बताए? भेड़िए ने उनके उत्तर में क्या-क्या कहा?
> बूढ़े सियार ने पहली बार भेड़िए से कहा," मालिक सरकस में भरती हो जाइए।"भेड़िए ने उसके इस प्रश्न का यह उत्तर दिया," अरे वहांँ भी शेर और रिछ को तो ले लेते हैं, पर हम इतने बदनाम है कि हमें वहांँ भी कोई नहीं पूछता।" तभी बूढ़े सियार ने भेड़िए को दूसरे तरकीब बताया और कहा," अजायबघर में चले जाइए।"
भेड़िए ने फिर से कहा," अरे वहांँ भी जगह नहीं है, सुना है।वहांँ तो आदमी रखे जाने लगे हैं।"
बूढ़े सियार ने भेड़िए को यह दो अपना सुझाव दिया।
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