ICSE संक्षिप्त कहानियांँ Solution: अपना अपना भाग्य

ICSE संक्षिप्त  कहानियांँ Solution अपना अपना भाग्य


प्रश्न उत्तर

(1)  कहानी का शीर्षक सार्थक क्यों लगता है ?

> कहानी का शीर्षक कहानी के आधार पर अर्थपूर्ण लगता है क्योंकि इस कहानी में भाग्य की स्थिति का चित्रण किया गया है इसमें दिखाया गया है, कि लेखक उसके मित्र और वकील साहब धनी वर्ग के प्रतीक हैं, तथा पहाड़ी बालक गरीब वर्ग का प्रतीक है। भाग्य की विडंबना यह है की किसी के पास जरूरत से ज्या़दा पैसे होते हैं और किसी के पास भूख मिटाने के लिए भी पैसे नहीं होते। पहाड़ी बालक की मृत्यु पर लोग उसके भाग्य का दोष मानकर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं, लेकिन कोई उसकी मदद नहीं करता है। यही इस कहानी में दिखाया गया है, इस लिए कहानी का शीर्षक सार्थक लगता है।

(2) कहानी का उद्देश्य बताइए?

> प्रस्तुत कहानी का उद्देश्य लोगों के मन में गरीब और बेसहारा लोगों के लिए दया की भावना जगाना है आजकल समाज में अधिकांश लोग स्वार्थी निमम् संवेदनहीन हो गए हैं आता इस कहानी के माध्यम से लोगों को गरीब बच्चों की मदद करने की प्रेरणा देने के उद्देश्य से लिखी गई है।

(3) अपना अपना भाग्य कहानी के कहानीकार का संक्षिप्त परिचय दें?

> श्री जैनेंद्र कुमार का जन्म अलीगढ़ जिले मैं कोडियागंज नामक कस्बे में सन उन्नीस सौ पांच में हुआ था जैनेंद्र की रचनाओं पर गांधीवाद का बहुत प्रभाव पड़ा यह अहिंसा वादी और दर्शनिक थे मुख्य रूप से तो यह कहानी का अर्थ है पर इन्होंने निबंध उपरांत और संसार भी लिखी हैं। सुनीता सुखदा मुक्तिबोध प्रसिद्ध उपरांत साहित्य का श्रेय और प्रेय जैसे रचनाओं को लिखा हैं। इनकी कहानियों में कहानी काल को नया आयाम मिला है, उज्जैन में वर्णन और विपणन की अपेक्षा चिंतन और विश्लेषण की प्रधानता है।

(4) लेखक और उनके मित्र ने घूमने के बाद क्या निश्चय किया ?

> लेखक और उनके मित्र घूमते—घूमते काफी थक चुके थे इसलिए जब उन्होंने सड़क के किनारे एक बेंच देखा तो उन्होंने यह निश्चय किया कि वह उस बेंच पर बैठकर कुछ देर विश्राम करेंगे।

(5) नैनीताल की संध्या का वर्णन करें?

> नैनीताल की संख्या धीरे-धीरे उत्तर चाहिए थी रुई की ऋषि से भाप से बादल हमारे सिरों को छू छू कर दे दो घूम रहे थे  हल्के प्रकाश और अंधियारी से रंग कर भी कभी वनीले दिखते कभी सफेद और फिर जरा लाल पड़ जाते हैं।

(6) लेखक के मित्र कितने समय तक बैठे रहे वेद बैंक से उठना क्यों नहीं चाहते थे?

> लेखक के मित्र पाँच दस पनद्रह मिनट हो गए परंतु मित्र के उठने का कोई इरादा ना मालूम हुआ उनकी मित्र इसलिए नहीं उठना चाहते थे क्योंकि श्याम का नजारा नैनीताल कब बहुत सुंदर था जिसे वह भूलना नहीं चाहते थे।

(7) सनक से छुटकारा पाना आसान ना था और ज़रा बैठ  जरा ना था ? इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट करें।

> सनक से छुटकारा पाना आसान ना था और ज़रा बैठना  जरा ना था पंक्तियों का यह अर्थ है कि लेखक के मित्र का कोई इरादा वहां से उठकर जाने का ना देख रहा था और ठंड के कारण लेखक कांप रहे थे वहां की संध्या का नजारा बिना देखे लेखक के मित्र वहां से हिलने का नाम ही नहीं ले रहे थे और यह जरा बैठना जरा ना रहा था।

(8) जरा और ज़रा में क्या अंतर है?

> जरा — बुढ़ापा
   ज़रा —थोड़ा

(9) लेखक अपने मित्र से क्यों कुढ़ रहे थे ?

> लेखक अपने मित्र से इसलिए कुढ़ रहे थे क्योंकि संध्या होते ही ठंड नैनीताल की बढ़ चुकी थी और मित्र खजाने का कोई संकेत ना मिल रहा था।

(10) काली सी मूर्ति किस की थी उसका परिचय दें?

> काली सी मूर्ति पहाड़ी बालक की थी। तीन गज की दूरी से देख पड़ा एक लड़का सीट के बड़े-बड़े बालकुंज लाता चला आ रहा था नंगे पैर नंगे सीन एक मैली सी कमीज लटकाए था वह गोरा रंग का था परंतु लाल के कारण काला पड़ गया था आंँखें अच्छी बड़ी पर सुनी थी माथा जैसे अभी से झुरिया खा गई हो।

(11) लेखक नेपाली बालक से क्या-क्या प्रश्न पूछा?

> लेखक ने पहाड़ी बालक से एक-एक कर कई प्रश्न पूछे जैसे:—
i) दुनिया सो गई तू ही क्यों घूम रहा है?
ii) कहांँ सोएगा?
iii) कल कहांँ सोया था?
iv) आज वहांँ क्यों नहीं?
v) क्या नौकरी थी?
vi) सी नौकरी करेगा?
आदि कई प्रश्न उन्होंने पूछें।

(12) पहाड़ी बालक की जरा सी उम्र में ही मौत से पहचान कैसे हो गई?

> पहाड़ी बालक की जरा सी उम्र में ही मौत की पहचान इसलिए हो गई थी क्योंकि वह अब निर्देश दुनिया में नहीं रहा था वह मर चुका था।

(13) पहाड़ी बच्चों के विषय में वकील साहब के क्या विचार थे?

> पहाड़ी बच्चों के विषय में वकील साहब के यह विचार थे कि पहाड़ी बच्चे बड़े शैतान होते हैं बच्चे बच्चे में और गुण छिपे रहते हैं उन्हें एक बार नौकरी लेकर चोरी करते हैं।

(14) लेखक ने स्वार्थ की फिलॉसफी क्या सुनाई?

> लेखक ने स्वागत किया फिलॉसफी सुनाई अपने मित्र को "यह संसार है यार!" मैंने स्वार्थ की फिलॉसफी सुनाते हुए कहा चलो पहले बिस्तर में गर्म हो लो फिर किसी और की चिंता करना।

(15) दूसरे दिन पहाड़ी बालक कौन सी होटल में क्यों नहीं  आया?

> दूसरे दिन पहाड़ी बालक होटल में इसलिए नहीं आया क्योंकि उसकी मृत्यु हो चुकी थी।

(16) लेखक और उसके मित्र को मोटर पर सवार होते ही क्या समाचार मिली?

> लेखक और उसके मित्र को मोटर पर सवार होते हैं यह समाचार मिली की पहाड़ी बालक एक पेड़ के नीचे मर चुका है।

(17) आदमियों की दुनिया में गरीब बालक के लिए क्या उपहार छोड़ रखा था?

> आदमियों की यह निर्णय दुनिया ने उस गरीब बालक के लिए एक फटी काली कमीज  जो फट चुकी थी बस यही छोड़ रखा था।

(18) लेखक ने दुनिया को बेहायाई क्यों संबोधन किया है?

> लेखक ने दुनिया को बेशर्मी और बेहया इसे इसलिए संबोधन किया है क्योंकि एक गरीब बच्चा जो काम करने के लिए अपने घर कुछ और यहां आया था उसे लोगों ने ठुकरा दिया था और किसी ने भी उसका साथ ना दिया जब लोग नरम गद्दे में सो रहे थे तब वह बेचारा एक पेड़ के नीचे छोड़कर मर रहा था पर किसी ने उसका साथ ना दिया यहां तक कि लोगों ने यह कह कर टाल दिया कि यह उसका भाग्य है अगर वह चाहते तो उसे बचा सकते थे उसे घर के अंदर लाकर या कुछ गर्म कपड़े देकर परंतु उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और अपनी अच्छाई दिखाने के लिए यह कह दिया कि यह इसका भाग्य ही था यह देख प्रकृति भी रो पड़ी कि मानव दुनिया की बेल हाय आई ढकने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफेद और ठंडे कफन का प्रबंध कर दिया था और उस बालक को हल्की सी बर्फ की सफेद चादर चिपका दी गई थी।

(19) जब लेखक ने पहाड़ी बालक से पूछा कि वह क्यों भाग कर यहां आया है तब पहाड़ी बालक ने क्या जवाब दिया?

> जब लेखक ने पहाड़ी बालक से यह पूछा कि वह यहां भाग कर क्यों आया है तब उसने लेखक को यह जवाब दिया कि उसके कई भाई-बहन है वो भाग आया वहां काम नहीं रोटी नहीं मांँ-बाप भूखा रहता था और मां भूखी रहती थी रोती थी एक साथी और था जिसके साथ वह वहां से भाग कर यहांँ काम करने आया था।

(20) बस जरा सी उम्र में ही उसकी मौत हो गई? पंक्ति का क्या अर्थ है।

> बस जरा सी उम्र में ही पहाड़ी बालक की परिचय मौत से हो गई क्योंकि लोगों की निर्दयता और बेशर्मी ने उसके लिए इस संसार में और कुछ नहीं छोड़ा था।

संक्षिप्त प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:—

i) 'नैनीताल की संध्या धीरे धीरे उतर रही थी।'

(क) नैनीताल की संध्या की विशेषताएंँ बताइए।

>नैनीताल की संख्या धीरे-धीरे उत्तर चाहिए थी रुई की ऋषि से भाप से बादल हमारे सिरों को छू छू कर दे दो घूम रहे थे  हल्के प्रकाश और अंधियारी से रंग कर भी कभी वनीले दिखते कभी सफेद और फिर जरा लाल पड़ जाते हैं। यह विशेषताएंँ हैं।

(ख) लेखक अपने मित्र के साथ कहांँ बैठा था? वह वहांँ बैठे बैठे क्यों बोर हो रहा था और कुढ़ क्यों रहा था?

> लेखक अपने मित्र के साथ बेंच पर बैठा था वह वहांँ बैठा बैठा बोर इसलिए हो रहा था। क्योंकि वहांँ बहुत शांति था और वहांँ की ठंड बढ़ते ही जा रही थी और मित्र का कोई संकेत लेखक को नहीं मिल रहा था कि वह वहांँ से उठने की इरादे में हैं।

(ग) लेखक के मित्र को अचानक क्या दिखाई पड़ा? उसका परिचय दीजिए।

> लेखक के मित्र को अचानक से एक काली सी मूर्ति उनकी तरफ आते हुए दिखाई पडी़। तीन गज की दूरी से देखा एक लड़का सिर पर बड़े-बड़े बाल जिसे वह खून जलाता हुआ चला आ रहा था नंगे पैर नंगे सीन  एक काली सी कमीज लटकाए गोरे रंग का था परंतु लाल के कारण काला पड़ गया था आंखें अच्छी बड़ी पर सुनी थी माथे जैसे अभी से ही दूरियां खा गई हूंँ।

(घ) ज़रा सी उम्र में उसकी मौत से पहचान हो गई थी?

> जरा सी उम्र में ही पहाड़ी बालक की मौत से पहचान हो गई थी क्योंकि इस बेदर्दी और निर्देय मानव लोगों ने उसके लिए इस संसार में मरने के अलावा और कुछ नहीं छोड़ा था।

ii) बालक फिर आंखों से बोल कर मूक खड़ा रहा। आंँखें मानो बोलती थीं—' यह भी कैसा मूर्ख प्रश्न है।'

(क) किस प्रश्न को सुनकर बालक मूक खड़ा रहा? उसकी आंखों ने क्या कह दिया?

> "दुनिया सो गई, तू ही क्यों घूम रहा है ?" यह प्रश्न सुनकर बालक मूक खड़ा रहा। बालक की आंँखें मानव बोल रही थी —'यह भी कैसा मूर्ख प्रश्न है।'

(ख) अपने परिवार के बारे में बालक ने क्या बताया?

> अपने परिवार के बारे में पहाड़ी बालक ने यह बताया कि उसके कई भाई-बहन है वो भाग आया वहां काम नहीं रोटी नहीं मांँ-बाप भूखा रहता था और मांँ भूखी रहती थी रोती थी एक साथी और था जिसके साथ वह वहां से भाग कर यहांँ काम करने आया था।

(ग) लेखक को बालक की किस बात को सुनकर अचरज हुआ?

> जब लेखक बालक से प्रश्न पूछ रहे थे तब उसका उत्तर सुनकर लेखक को अचरज हुआ।

(घ) लेखक और उसका मित्र बालक को कहांँ ले गया और क्यों? वकील साहब का पहाड़ी बालक के संबंध में क्या मत था?

> लेखक और इसका मित्र ने बालक को वकील साहब के घर ले गया ताकि उसे नौकरी मिल जाए। परंतु वकील साहब का पहाड़ी बालक के संबंध में यह तक की पहाड़ी बालक बेहद शैतान होते हैं और बच्चों—बच्चों में और अवगुण छिपा रहता है।

iii) 'भयानक शीत है। उसके पास कम बहुत कम कपड़े.....?' ' यह संसार यार,' मैंने स्वार्थ की फिलॉसफी सुनाई?

(क) लेखक के मित्र की उदासी का कारण स्पष्ट करते हुए बताइए कि वह पहाड़ी बालक की सहायता क्यों नहीं कर सका?

> लेखक के मित्र की उदासी का यह कारण था कि वह पहाड़ी बालक की सहायता नहीं कर पाए थे और वह उस बालक की सहायता इसलिए नहीं कर सके क्योंकि वकील साहब ने मना कर दिया उसे अपने घर में नौकरी देने से और रात बहुत हो गई थी जिसके कारण वह किसी और के घर मुझे नौकरी दिला नहीं सकते थे।

(ख) ' यह संसार है यार'— वह आजकल के मनुष्यों की किस प्रवृत्ति का द्योतक है?

> लेखक ने अपने मित्र को यह स्वार्थ की फिलॉसफी सुनाते हुए कहा —"चलो , पहले बिस्तर में गर्म हो लो, फिर किसी और की चिंता करना।"

(ग) "अपना-अपना भाग्य" कहानी का शीर्षक सार्थक क्यों लगता है ?

> कहानी का शीर्षक कहानी के आधार पर अर्थपूर्ण लगता है क्योंकि इस कहानी में भाग्य की स्थिति का चित्रण किया गया है इसमें दिखाया गया है, कि लेखक उसके मित्र और वकील साहब धनी वर्ग के प्रतीक हैं, तथा पहाड़ी बालक गरीब वर्ग का प्रतीक है। भाग्य की विडंबना यह है की किसी के पास जरूरत से ज्या़दा पैसे होते हैं और किसी के पास भूख मिटाने के लिए भी पैसे नहीं होते। पहाड़ी बालक की मृत्यु पर लोग उसके भाग्य का दोष मानकर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं, लेकिन कोई उसकी मदद नहीं करता है। यही इस कहानी में दिखाया गया है, इस लिए कहानी का शीर्षक सार्थक लगता है।

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